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सच का रास्ता

ध्यान केन्द्रित करना जरुरी है

कहीं ना कहीं गंभीरता नहीं है, कहीं ना कहीं जागरूकता नहीं है, सिर्फ शोर है लोगों का, जिन्हें खुद नहीं पता की उन्होंने ये शोर क्यों मचा रखा है, क्योकि कोई सोच नहीं रहा है, सभी के पास उनके पूर्वजो के सोपें गए "अनुमान" है, जिनका कोई आधार नहीं, मगर सच तक पहुचना है, तो अनुमान लगाना बंद करना होगा और केवल देखना होगा, समझना होगा क्योकि इतना वक्त नहीं है की हम खुद को साबित करते रहें, वो भी केवल अनुमानों के आधार पर | हमारे शरीर में 37.2 खरब कोशिकाए लगातार बिना रुके हमें गतिशील रखने का कार्य कर रही है, हर मिनट 50-70 अरब कोशिकाए मरती और जन्मती है | और हम क्या कर रहे है ?

सवाल गहरा है, मगर सच तक पहुचना ही एक मात्र रास्ता है, और ये केवल ध्यान केन्द्रित करके ही संभव है |